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ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका इलाहाबाद HC ने खारिज की
ताज महल के 22 बंद दरवाजों पर आया हाईकोर्ट का फैसला. (फोटो साभार: Unsplash)
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने ताजमहल (Taj Mahal) के 22 बंद दरवाजों को खोलने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने ताजमहल के इतिहास की जांच की मांग वाली याचिका के औचित्य पर सवाल खड़ा किया. अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ताज महल के 22 कमरों के दरवाजे खोलने के लिए कहा गया था ताकि 'सच सामने आ सके.' मुगल-युग का स्मारक ताजमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है.
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अदालत ने कहा कि ये मुद्दा अदालत के बाहर का है और इस तथ्य की जांच विभिन्न तरीकों से की जा सकती है जा सकता है. कोर्ट ने कहा ये काम ऐतिहासिक तथ्यों के विशेषज्ञों और इतिहासकारों पर हो छोड़ देना उचित है.
लाइव लाइव लॉ के अनुसार, याचिकाकर्ता डॉ रजनीश सिंह (भाजपा युवा मीडिया प्रभारी) की दायर याचिका का तर्क है कि ताजमहल एक शिव मंदिर था, जिसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता है, और सरकार से स्मारक के 'वास्तविक इतिहास' प्रकाशित करने के लिए एक तथ्य-खोज समिति का गठन करने के लिए कहा है.
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याचिका में कहा गया है, "आदरपूर्वक यह निवेदन किया जाता है कि कई वर्षों से एक विवाद अपने चरम पर है जो ताजमहल से जुड़ा हुआ है. कुछ हिंदू समूह और प्रतिष्ठित संत इस स्मारक का एक पुराने शिव मंदिर होने का दावा कर रहे हैं - जो कई इतिहासकारों और तथ्यों द्वारा समर्थित है. हालांकि, कई इतिहासकार इसे मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल मानते हैं. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यहां तेजो महालय ज्योतिर्लिंग (नागनाथेश्वर) है.
ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की कब्र के रूप में बनवाया था. संगमरमर के स्मारक का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा होने में 22 साल लग गए. वास्तुकला की महान कृति को 1982 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया गया था.
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