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इस वाक्य को शुद्ध कीजिए- 'बच्चे को काटकर सेब खिलाओ'
Photo - PixaBay
एक बार मैंने किसी अख़बार में चिकित्सा शिविर की ख़बर पढ़ी। उसका शीर्षक कुछ इस तरह था कि 'शहर में विशाल दांतों का शिविर लगाया जाएगा।' इसका शीर्षक ध्यान से पढ़ें तो ऐसा लगता है कि यह शिविर इन्सानों के लिए नहीं, भूत-प्रेतों के लिए लगाया जाएगा, जिनके बारे में समझा जाता है कि उनके बड़े-बड़े यानी विशाल दांत होते हैं! अगर आप इस शीर्षक को ध्यान से पढ़ें तो ऐसा ही लगता है- विशाल दांतों का शिविर!
.. राजीव शर्मा ..
1. 'यहां दवाईयाँ उपलब्ध हैं।'
2. 'यहां विशाल दांतों का शिविर लगाया जाएगा।'
3. 'बच्चे को काटकर सेब खिलाओ।'
इन तीनों वाक्यों में कुछ ग़लतियां (सही शब्द 'ग़लतियाँ' है लेकिन अख़बारों में चंद्रबिंदु का इस्तेमाल बंद होने से 'ग़लतियां' लिख रहा हूं) रह गई हैं। अगर थोड़ा ध्यान दें तो दूसरे और तीसरे वाक्य की ग़लती पकड़ में आ जाती है लेकिन पहले वाक्य में छिपी ग़लती की ओर बहुत कम लोगों का ध्यान जाएगा। इसके एक शब्द में जो ग़लती है, आमतौर पर वह सबसे ज़्यादा दोहराई जाती है। आप चाहें तो दवाइयों की दुकानों के आसपास जाकर देख भी सकते हैं।
ज़्यादा संभावना इस बात की है कि वहां आपको 'दवाईयाँ' लिखा मिले। दवाई एक जाना-पहचाना शब्द है। अरबी में 'दवा' शब्द मिलता है। उसमें फ़ारसी शब्द 'ख़ाना' जोड़ दें तो 'दवाख़ाना' हो जाता है।
हम 'दवाई' बोलते हैं। उसमें याँ जोड़ दें तो 'दवाईयाँ' हो जाता है। वास्तव में 'दवाईयाँ' ग़लत है। इसे 'दवाइयाँ' होना चाहिए। चूंकि हिंदी में बहुवचन करना हो और शब्द के अंतिम अक्षर की मात्रा बड़ी हो तो बहुवचन में वह मात्रा छोटी हो जाती है। यह साधारण नियम है। इसके अपवाद हैं लेकिन आम बोलचाल और लेखन में यही नियम इस्तेमाल होता है।
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उदाहरण के लिए- रजाई/रजाइयाँ, पकौड़ी/पकौड़ियाँ, रोटी/रोटियाँ, बिल्ली/बिल्लियाँ आदि। अगर हलवाई का बहुवचन करना हो तो हलवाइयों होगा। इस तरह 'ई' 'इ' में बदल जाएगा।
एक बार मैंने किसी अख़बार में चिकित्सा शिविर की ख़बर पढ़ी। उसका शीर्षक कुछ इस तरह था कि 'शहर में विशाल दांतों का शिविर लगाया जाएगा।' इसका शीर्षक ध्यान से पढ़ें तो ऐसा लगता है कि यह शिविर इन्सानों के लिए नहीं, भूत-प्रेतों के लिए लगाया जाएगा, जिनके बारे में समझा जाता है कि उनके बड़े-बड़े यानी विशाल दांत होते हैं! अगर आप इस शीर्षक को ध्यान से पढ़ें तो ऐसा ही लगता है- विशाल दांतों का शिविर!
यह ख़बर जिसने लिखी, उसे पता नहीं होगा कि 'विशाल दांतों का शिविर' अर्थ का अनर्थ कर देगा। संपादक महोदय ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया होगा। सही शीर्षक इस तरह होना चाहिए- 'यहां दांतों का विशाल शिविर लगाया जाएगा।'
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'बच्चे को काटकर सेब खिलाओ' वाक्य भी हास्यास्पद है। मैंने यह वाक्य एक किताब में पढ़ा था। अगर बच्चे को काट दिया तो वह सेब कैसे खाएगा? यहां 'बच्चे को सेब काटकर खिलाओ' या 'सेब काटकर बच्चे को खिलाओ' होना चाहिए।
एक बार तो ग़ज़ब ही हो गया। मैं जिस रास्ते से दफ़्तर जाता था, वहां एक अस्पताल खुला। एक दिन उसकी दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- '24 घंटे फ़्रैक्चर सुविधा!' यह पढ़ते ही मुझे अजीब लगा। इसका अर्थ हुआ कि हमारा अस्पताल आपकी हड्डियां तोड़ने के लिए हमेशा तैयार है! क्या दुनिया में कोई व्यक्ति ऐसा है जो रुपए देकर अपने हाथ-पांव तुड़वाने अस्पताल आएगा?
कुछ दिन बाद मैंने चुटकुलों के ग्रुप में उसकी तस्वीर खूब शेयर होते देखी। उसके दो-तीन दिन बाद ही अस्पताल ने वाक्य में सुधार करते हुए लिख दिया- '24 घंटे फ़्रैक्चर चिकित्सा सुविधा!' डॉक्टर साहब को भी सोशल मीडिया के ज़रिए पता चल गया कि उन्होंने हड्डियां जोड़ने की पढ़ाई की है लेकिन उनका अस्पताल हड्डियां तोड़ने का प्रचार कर रहा है।
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