ये 3 सवाल पूछने वाले रिश्तेदारों के लिए भी कोई सजा होनी चाहिए
Photo - PixaBay
.. राजीव शर्मा ..
पहली कक्षा में गणित का एक सवाल मेरे जैसे कई विद्यार्थियों को बहुत उलझाता था- पांच अंकों की सबसे बड़ी संख्या बताओ.. आठ अंकों की सबसे छोटी संख्या बताओ आदि। जितनी मेरी उम्र नहीं थी, उससे ज्यादा संख्याओं के सवाल पूछे जाते थे। अब बताइए, यह अन्याय नहीं तो और क्या है! ऐसे कितने ही सवाल हम मासूम विद्यार्थियों का रोज खून पीते हैं!
किसी तरह उनसे पीछा छूटा तो अब दूसरे सवाल पीछे पड़ गए हैं। खासतौर से जब मैं गांव जाता हूं या किसी रिश्तेदार से बात/मुलाकात होती है।
इसके अलावा भी जब गांव से कोई पहचान वाला शख्स मिलता है तो ये सवाल जरूर करता है। बार-बार एक ही किस्म के सवाल पूछे जाने से दिमाग भन्ना जाता है। ऐसे में मन करता है कि एक तख्ती पर इनके जवाब लिखकर गले में पहन लूं। क्या हैं वे सवाल?
1. लोगों की इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं होती कि मैं ज़िंदगी में खुश हूं या नहीं। वे तोप के गोले की तरह सबसे पहला सवाल मुझ पर दागते हैं- 'कितना कमा लेते हो?' बुजुर्गों की यह आदत होती है कि वे भीड़ के बीच बुलंद आवाज मेंं पूछते हैं- 'छोरा, के दीं रै तन्नैं या कितणा कमा ले है रै तूं?'
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उस समय आसपास के लोग सांस रोककर जवाब का इंतजार करते हैं। अगर कोई अपनी तनख्वाह बहुत ज्यादा बताए तो वे उसकी बहुत इज्जत करते हैं, अगर सही (जो प्राय: कम होती है) बताए तो वे सोचते हैं, 'इसकी इज्जत करना वक्त की बर्बादी है!'
2. अब आता है दूसरा सवाल। यहां भी उनकी इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं होती कि मैं ज़िंदगी में खुश हूं या नहीं। वे पूछते हैं- 'अच्छा, शादी कब कर रहे हो?' इस सवाल के पीछे बुजुर्ग लोग दलील देते हैं कि हमारी शादी तो बचपन में ही हो गई थी और तुम्हारी उम्र में हम पांच बच्चों के बाप बन चुके थे! अब बताइए, उनका बालविवाह हुआ, इसमें मेरा क्या कसूर? अगर मैं उस जमाने में बालविवाह होते देखता तो यकीन मानिए, पुलिस बुलाकर इन्हें पकड़वा देता।
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3. तीसरा सवाल मेरे कुछ विवाहित मित्रों से बहुत ज्यादा पूछा जा रहा है- 'खुशखबरी' कब सुना रहे हो?
अरे भाई, ये लोग अपनी ज़िंदगी में खुश हैं। फिर आप अपनी खुशी के लिए इन पर क्यों दबाव डाल रहे हैं? सुकून से जीने दो। ऐसे सवालों से रोज-रोज परेशान करने वाले रिश्तेदारों/लोगों के लिए भी कोई कालापानी टाइप सजा होनी चाहिए। मोदीजी, सुन रहे हैं न आप?
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