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ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे रोकने की मांग पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है. (फोटो साभार: PTI)
- ज्ञानवापी मस्जिद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.
- मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है.
- सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे को तत्काल रोकने से मना कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. यह तब आया जब अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की. बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है.
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वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी (Huzefa Ahmadi) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और वाराणसी सिविल कोर्ट के समक्ष लंबित मामले में यथास्थिति का आदेश देने का सुझाव दिया. हालांकि, पीठ ने मामले में यथास्थिति देने से इनकार करते हुए कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि मामला क्या है, क्योंकि उसने कागजात नहीं देखे हैं.
सीजेआई ने कहा, "हमने कागजात नहीं देखे हैं. हमें यह भी नहीं पता कि मामला क्या है. मुझे कुछ भी नहीं पता...मैं आदेश कैसे पारित कर सकता हूं. मैं पढ़ूंगा और फिर आदेश दूंगा...मुझे देखने दो."
ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति की ओर से पेश हुए अहमदी ने यथास्थिति का आदेश मांगते हुए कहा, "वाराणसी संपत्ति के संबंध में सर्वेक्षण का निर्देश दिया गया है. यह पूजा स्थल अधिनियम (Places of worship Act 1991) द्वारा कवर किया गया है. अब कोर्ट ने आयुक्त को सर्वे करने का आदेश दे दिया है."
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वाराणसी सिविल कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर हिंदू देवताओं के कथित अस्तित्व के संबंध में निरीक्षण, वीडियोग्राफी और साक्ष्य एकत्र करने के लिए एक सर्वे का निर्देश दिया है. मस्जिद अधिकारियों की आपत्ति के बावजूद 12 मई को कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को जारी रखने का आदेश दिया.
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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित रूप से स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा की अनुमति के लिए पांच महिलाओं ने अदालत में याचिका दायर की थी. उनकी याचिका पर दीवानी अदालत ने परिसर में सर्वे और वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया था. एक अन्य याचिका विजय शंकर रस्तोगी ने दायर की थी, जिन्होंने तर्क दिया था कि पूरा परिसर काशी विश्वनाथ का है और ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर का केवल एक हिस्सा है, जो 1991 से अदालत में लंबित था.
रस्तोगी ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर दो हजार साल पहले बनाया गया था और मंदिर को मुगल सम्राट औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था.
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