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क्या है Sedition law?
भारतीय सुप्रीम कोर्ट. (फ़ोटो साभार: Twitter/@ANI)
- आईपीसी की धारा 124A, जो देशद्रोह या राजद्रोह को अपराध बनाती है.
- हालांकि, "देशद्रोह" शब्द का उल्लेख आईपीसी की धारा में नहीं किया गया है.
- इस धारा के तहत तीन साल की सजा का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट ने 'औपनिवेशिक' युग के राजद्रोह कानून (Sedition law) की वैधता पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट 11 मई 2022 को राजद्रोह कानून पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को इस पर विचार करने को कहा है. अदालत ने कहा है कि फिर से समीक्षा करने की प्रक्रिया जब तक पूरी नहीं हो जाती, इस क़ानून के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं होगा.
क्या है राजद्रोह कानून?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, IPC) की धारा 124A को राजद्रोह कानून कहा जाता है. हालांकि, "देशद्रोह" शब्द का उल्लेख आईपीसी की धारा में नहीं किया गया है.
राजद्रोह कानून कहता है- जो भी कानून द्वारा बनी सरकार के खिलाफ शब्दों से बोले गए या लिखित या संकेतों से या दृश्य के माध्यम से, या घृणा या अवमानना का माहौल तैयार करता है या उत्तेजित करता है या सरकार के प्रति असंतोष को उत्तेजित करने का प्रयास करता है, उसको कारावास से दंडित किया जाएगा, जो तीन साल तक का हो सकता है, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है.
आसान भाषा में समझें
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 ए में राजद्रोह की परिभाषा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है.
दरअसल, यह कानून ब्रिटिश काल का है. इसे 1870 में लाया गया था. सबसे पहले इस कानून का प्रयोग वर्ष 1891 में एक अखबार के संपादक जोगेंद्र चंद्र बोस के विरुद्ध किया गया. उन पर आरोप था कि उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लेख लिखा था.